भारत का राष्ट्रगान से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य

 

भारत का राष्ट्र गान

 
Ques: राष्ट्रीय गान किसने लिखा ?
Ans  भारत का राष्ट्रीय गान जन-गण-मन, मूल रूप से कवि रवीन्द्र नाथ ठाकुर के "भारोत्तो भाग्यो बिधाता" नामक गीत के प्रथम पद के शब्द तथा उनके संगीत - विन्यास से बनी रचना है।

⬧  24 जनवरी, 1950 को भारत के राष्ट्रगान के रूप में संविधान सभा द्वारा इसके हिंदी संस्करण को अपनाया गया था।
 
Ques: हमारा राष्ट्रगान पहली बार कब और कहाँ गाया गया था?
⬧ इसे पहली बार 27 दिसंबर, 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।
 
⬧ सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रगान चुनने में अहम भूमिका निभाई थी।
 
⬧ भारत का राष्ट्र गान विभिन्न अवसरों पर गाया अथवा बजाया जाता है।
 
Ques: भारत का राष्ट्रीय गान कितने सेकंड का है ?
⬧ राष्ट्र गान को गाने अथवा बजाने में लगभग 52 सेकेण्ड का समय लगना चाहिए।
 
 
भारत का राष्ट्रगान,भारत का राष्ट्रगान कैसे लिखें,भारत का राष्ट्रगान जन गण मन,भारत का राष्ट्रीय उद्यान,भारत का राष्ट्रीय गान,भारत का राष्ट्रीय गान आसान भाषा भाषा में समझे,भारत का राष्ट्रीय गान कौन सा है,भारत का राष्ट्रीय गान क्या है,भारत का राष्ट्रीय गान सम्बंधित प्रश्न,भारत का राष्ट्रीय गीत,भारत देश का राष्ट्रीय गान,भारत माता का राष्ट्रीय गान,राष्ट्र गान,राष्ट्र गान सांग,राष्ट्र गीत,राष्ट्रीय गान,राष्ट्रीय गान जन गण मन,’ भारत का राष्ट्रगान भारत का राष्ट्रगान,भारत का राष्ट्रगान कब बना,भारत का राष्ट्रीय आंदोलन,भारत का राष्ट्रीय उद्यान,भारत का राष्ट्रीय गान,भारत का राष्ट्रीय गान का इतिहास,भारत का राष्ट्रीय गान कौन सा है,भारत का राष्ट्रीय गान क्या है,भारत का राष्ट्रीय गीत,भारत का राष्ट्रीय गीत और भारत का राष्ट्रीय गान,भारत देश का राष्ट्रीय गान,भारत माता का राष्ट्रीय गान,राष्ट्र गान का अर्थ,राष्ट्रगान का अर्थ,राष्ट्रगान का असली सच,राष्ट्रगान का इतिहास,राष्ट्रीय गान का इतिहास

 
 
भारत का राष्ट्रगान नियम क्या है ?
 
⬧ सामान्य नियम-
1. जब कभी राष्ट्र गान का गायन अथवा वादन हो तब श्रोतागण सावधान होकर खड़े रहें। किन्तु जब समाचार दर्शन अथवा वृत्त चित्र के दौरान राष्ट्र गान फिल्म के अंश के रूप में बजाया जाता है तो दर्शकों से खड़े होने की अपेक्षा नहीं की जाती क्योंकि खड़े होने से राष्ट्र गान के गौरव में वृद्धि होने की अपेक्षा फिल्म के प्रदर्शन में बाधा पड़ती है और अशांति तथा गड़बड़ उत्पन्न होती है ।
 
2. राष्ट्रीय ध्वज के फहराए जाने की तरह यह भी लोगों के विवेक पर छोड़ दिया गया है कि वे राष्ट्र गान को मनमाने ढंग से न गाएं - बजाएं |


Comments