दूसरी 'मस्तानी' थी गुलाबराय रानी, जिनका अन्दाज नूरजहाँ वाला था |

 

Maharaja Vijaisingh Paswan Gulabrai

 

 दूसरी 'मस्तानी' थी गुलाबराय रानी, जिनका अन्दाज नूरजहाँ वाला था |


जोधपुर के महाराजा विजय सिंह जी (1729-1793) के सात पुत्र थे। जिनकी उम्र के हिसाब से नाम निम्न क्रमानुसार है। 1. फतेहसिंह 2. भोमसिंह 3. जालिमसिंह 4. सरदारसिंह 5. शेरसिंह 6. गुमानसिंह 7. सावंतसिंह

विजयसिंह जी के ज्येष्ठपुत्र फतेहसिंह जी की निःसंतान मृत्यु हो गयी थी। दूसरे नंबर के पुत्र भोमसिंह जी की भी अल्पायु  में मृत्यु हो गयी थी। भोमसिंग जी के एक पुत्र था जिसका नाम भीमसिंह था। अतः मारवाड़ की प्रचलित परम्परा के अनुसार भीमसिंह को राजा बनना था। किन्तु उदयपुर की राजकुमारी कृष्णा कुमारी से भीमसिंह की अल्पायु में सगाई हो जाने के समय महाराजा विजयसिंह जी ने यह समझौता किया था कि दोनों से शादी के बाद हुए पुत्र को सत्ता का हकदार माना जाएगा।

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि कृष्णा कुमारी (1794-1810) मेवाड़, उदयपुर की राजकुमारी और भीम सिंह जी की बेटी थी।  उनकी सगाई अल्पायु में ही जोधपुर के भीम सिंह से हुई थी किन्तु विवाह पूर्व ही उनके भावी पति भीम सिंह जी की 1803 में मृत्यु हो गयी। उसके बाद जोधपुर के मानसिंह जी तथा जयपुर के जगत सिंह जी सहित कई राजाओं ने उनसे विवाह का प्रस्ताव किया। उनसे विवाह करने के इच्छुक उदयपुर, जोधपुर, जयपुर व अन्य सहायक राजाओं में युद्ध भी हुआ। 16 वर्षीय राजकुमारी ने इससे दुःखी होकर जहर खाकर प्राण त्याग दिए थे।

चूँकि अभी विजयसिंह जी पौत्र भीमसिंह जी मृत्यु के कारण पुत्र हुआ नहीं था तो तीसरे नंबर के पुत्र जालिम सिंह जी भी अपने सत्ता का हकदार मानते थे। महाराजा विजय सिंह ने एकबार जालिमसिंह जी को हकदार मान भी लिया था। परन्तु कहानी में अभी कुछ और भी पेच थे।

jodhpur-gulabrai-and-king-vijaysingh-love-story,maharaja-vijaisingh-paswan-gulabrai,hindi-latest-jodhpur-maharaja-vijay-singh-was-in-love-affair-news दूसरी 'मस्तानी',गुलाबराय रानी,नूरजहाँ,विजय सिंह,पासवान,मायला बाग,गुलाब सागर,जोधपुर,7 वें नंबर सावन्तसिंह जी व उनके पुत्र सूरसिंह जी,शेरसिंह जी
दूसरी 'मस्तानी' थी गुलाबराय

महाराजा विजयसिंह जी की अनेक रानियाँ थी उसमें उनकी एक पासवान रानी भी थी जिसका नाम गुलाबराय था। 'पासवान' यह एक दर्ज़ा या पदवी है, जो महिला रानियों या ठकुराणियों द्वारा इनके मनोरंजन के लिए खरीदी जाती या राजाओं - महाराजाओं द्वारा अपने पास बिन ब्याहे रखी जाती थी जिन्हें महारानियों के बाद का दर्ज़ा होता था व रानियों के ऊपर का दर्ज़ा प्राप्त होता था। इनके पुत्र जिन्हें राजगद्दी मिलने पर राव राजा कहा जाता था यह राजा के उतने ही निकट होते थे जितनी अन्य रानियां व उनके पुत्र। उनकी संतान भी राजा महाराजाओं की संतान कहलाती थी सिर्फ गद्दी पर बैठने या उत्तराधिकारी का अधिकार नहीं था। इन महिलाओं को पासवान या पड़दायत कहा जाता था।

महाराजा विजयसिंह अपने ज्यादातर निर्णयों में गुलाबराय से मशविरा अवश्य करते थे। अन्य मुख्य रानियों और सरदारों को यह सब अखरता था। कवि राजा श्यामदास कहते है " इन (विजयसिंह जी) को जहाँगीर और पासवान (गुलाबराय) को नूरजहाँ का प्रतिरूप कहना चाहिए।"

गुलाबराय का प्रभाव इतना अधिक था कि जोधपुर शहर में गुलाब सागर, बच्चा (छोटा गुलाब सागर) कागा से गुलाब सागर तक नहर, मायला बाग (जो बाद में बोलचाल में महिलाबाग कहा जाने लगा) व कुछ नायाब बावड़ियों का निर्माण भी करवाया। जिसमें गुलाब सागर के पास वाली बावड़ी अद्भुत है। गुलाबराय खुद पालकी में बैठकर सारे कार्यों का निरीक्षण करने निकलती थी। गुलाबराय ने गुलाब सागर अपने पुत्र तेजसिंह की याद में बनवाया था अतः इसे तेजसागर भी कहा जाता है।

गुलाबराय का महाराजा विजयसिंह के ऊपर इतना प्रभाव था कि एक बार रानियों के पुत्रों के कुछ बचकाने आपसी झगड़े के कारण गुलाबराय नाराज होकर किला छोड़कर गुलाब सागर के पास स्थित मायला बाग (महिला बाग) में ही आकर रहने लगी तो विजयसिंह जी भी अपना अधिकांश समय यहीं पर रहकर बिताने लगे।

यूँ कह दीजिए कि जोधपुर के विशाल किले व साम्राज्य में कौन शासन करेगा या नहीं करेगा यह एक छोटे से भवन मायला बाग से तय होता था। विजयसिंह जी ने गुलाबराय के कहने पर पाँचवे नंबर के पुत्र शेरसिंह जी को युवराज भी बनाया था। लेकिन अल्पायु में मृत्यु से पहले भीमसिंह जी ने अन्य सरदारों के सहयोग से पांचवे नंबर के पुत्र शेरसिंह जी, 7 वें नंबर सावन्तसिंह जी व उनके पुत्र सूरसिंह जी की हत्या करवा दी थी। 

    
 

jodhpur-gulabrai-and-king-vijaysingh-love-story,maharaja-vijaisingh-paswan-gulabrai,hindi-latest-jodhpur-maharaja-vijay-singh-was-in-love-affair-news दूसरी 'मस्तानी',गुलाबराय रानी,नूरजहाँ,विजय सिंह,पासवान,मायला बाग,गुलाब सागर,जोधपुर,7 वें नंबर सावन्तसिंह जी व उनके पुत्र सूरसिंह जी,शेरसिंह जी
गुलाब सागर झील जोधपुर

छठे नंबर के पुत्र गुमानसिंह जी के बेटे मानसिंह जी जो भीमसिंह जी के चचेरे भाई थे वे जोधपुर के पास जालौर में रहकर स्वयं को स्वतन्त्र शासक मानते थे। भीमसिंह जी ने उनपर सेना भेज आक्रमण भी किया लेकिन अदीठ (कैंसर) की बीमारी के कारण भीमसिंह जी की सन 1803 में असामयिक मृत्यु हुई मानसिंह जी विजयी रहे और जोधपुर की सत्ता उन्होंने संभाली। इस पूरे घटनाक्रम में पासवान गुलाबराय की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भूमिका रही।

आज भी गुलाब सागर की जलराशि में आप किले का प्रतिबिम्ब कैद हुआ देख सकते है। प्रतीकात्मक रूप से आप कुछ भी अर्थ निकाल सकते हैं।

 

"U-Star academy"

Math important questions     Click Here

 Free English Mock test Paper by "U-Star academy"

 Tricks zone Click Here        Study material Click Here 

Join US  FacebookPage   Follow us  Instagram 


By: डॉ अर्जुन सिंह साँखला

 

 

jodhpur-gulabrai-and-king-vijaysingh-love-story,maharaja-vijaisingh-paswan-gulabrai,hindi-latest-jodhpur-maharaja-vijay-singh-was-in-love-affair-news
दूसरी 'मस्तानी',गुलाबराय रानी,नूरजहाँ,विजय सिंह,पासवान,मायला बाग,गुलाब सागर,जोधपुर,7 वें नंबर सावन्तसिंह जी व उनके पुत्र सूरसिंह जी,शेरसिंह जी

Comments