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राजस्थान के इतिहास के प्रमुख स्रोत
राजस्थान के इतिहास को जानने के लिए प्रमुख स्रोत पुरातात्विक सामग्री, पुरालेख, ऐतिहासिक साहित्य, प्रशस्तियों एवं यात्रियों का वर्णन इत्यादि है। समय-समय पर हए उत्खनन से प्राप्त सामग्री, शिलालेख, ताम्रपत्र, दानपत्र, स्मारक, भित्ति चित्र, मूर्तियों आदि को पुरातात्विक सामग्री में शामिल किया जाता है। राजस्थान के इतिहास की जानकारी के लिए सबसे महत्वपूर्ण शिलालेख व दानपत्र है जो यहाँ कि ऐतिहासिक घटनाओं, ऐतिहासिक पुरुषों व उनके वंशक्रम का विवेचन प्रस्तुत करने के साथ ही तत्कालीन समाज की राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति, संस्कृति धर्म व नैतिकता आदि के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। अध्ययन की सुविधा से हम राजस्थान के ऐतिहासिक स्रोतों को निम्नानुसार वर्गीकृत कर सकते हैं
खोजों एवं उत्खनन से प्राप्त सामग्री, जो ऐतिहासिक काल निर्धारण में सहायक होती है। इनमें निम्न प्रमुख हैं
1. मृद्भाण्ड आहड़ (उदयपुर) से सर्वाधिक मात्रा में मृदमाण्ड प्राप्त हुए।बागौर के मृदभाण्ड मोटे, जल्दी टूटने वाले तथा अलंकृत रहित हैं। रंगमहल के मृद्भाण्ड मोटे, खुरदरे, लाल या गुलाबी रंग के, दृढ़ तथा अलंकृत हैं।
2. मृणमूर्तियाँ रंगमहल से गांधार शैली की मूर्तियाँ प्राप्त हुईं जिसमें गुरु-शिष्य एवं भिक्षु-भिक्षुणियों की मूर्तियाँ प्रमुख हैं। रैढ़ (टोंक) में हाथ से बनी मूर्तियाँ विशेष रूप से मातृ देवी तथा शक्ति की मूर्तियाँ मिली हैं।
3 पाषाण, ताम्र तथा लोहे के आयुध आहड़ से पाषाण एवं ताम्र के आयुध एवं छिलने, छेद करने, काटने के पाषाण उपकरण प्राप्त हुए हैं। बागौर उत्खनन से पाषाण के बने नोकदार, तेज धार वाले, तिरछे फलक व त्रिभुजाकार उपकरण प्राप्त हुए हैं। गणेश्वर (सीकर) व बालाथल (उदयपुर) से सैकड़ों ताम्र आयुध प्राप्त हुए हैं। रंगमहल व रैढ़ से लोहे के बने आयुध प्राप्त हुए हैं।
4 गृह अवशेष कालीबंगा में मिट्टी की ईंटों से बने मकान प्राप्त हुए जिन पर मिट्टी का गारा लगा हआ है। आहड़ से मुलायम काले पत्थरों से बने मकान, घरों के फर्श पत्थरों से समतल किए गए हैं।
5 अस्थियाँ बागौर के उत्खनन में अस्थियों के अवशेष मिले हैं लेकिन ये इतने अस्पष्ट हैं कि पता लगाना कठिन है कि पशु कौन-कौनसे हैं।
6 काँच एवं पत्थर के मणके (मणियाँ) आहड़ से मूल्यवान, पत्थर जैसे-गोमेद, स्फटिक प्राप्त हुए हैं।
कालीबंगा में काँच के मणके प्राप्त हुए हैं। बालाथल में बहुमूल्य पत्थर के मणके प्राप्त हुए हैं।
7 मुद्राएँ एवं मुहरें आहड़ से 6 ताम्र मुद्राएँ व 3 मुहरें, रंगमहल से कुषाणकालीन 105 ताम्र मुद्राएँ तथा बैराठ से 36 मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं जिन पर चित्रित आकृतियों से तत्कालीन जनजीवन के बारे में जानकारी मिलती है।
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